Dark Truth Of Hero-Honda Split Reason Behind Hero Honda Partnership Failure

Hero Honda 90s के समय से लेकर आज तक यह नाम हर किसी की जुबां पर छाया रहता है। क्योंकि Hero और Honda के collaboration बनी है। यह कंपनी दुनिया में सबसे अच्छी Two-wheeler vehicle बनाती थी, लेकिन कंपनी Profitable होने के बाद भी अलग क्यों हुई और कैसे Honda ने भारत की कंपनी Hero के पीठ में छुरा घोपा? आज के इस पोस्ट में हम सब कुछ जानने वाले हैं।

dark-truth-of-hero-honda-split-reason

असल में Hero एक साइकिल बनाने वाली कंपनी थी, जिसकी नीव बृजमोहन लाल मुंजाल ने 1956 में रखी थी। और 1975 तक आते-आते यह भारत की सबसे बड़ी साइकिल बनाने वाली कंपनी बन गई। इसके बाद उन्होंने अपनी साइकिल्स को बड़े लेवल पर विदेशों में भी बेचना शुरू कर दिया। और इस तरह साल 1986 आने तक यह कंपनी सिर्फ़ इंडिया ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल बनाने वाली कंपनी में शुमार की जाने लगी।

लेकिन उसी दौरान उन्होंने देखा कि foreign market में मोटरसाइकिल बिजनेस भी काफी तेजी से Expand कर रहा है। लेकिन इंडिया में तो लोगों के पास सिर्फ स्कूटर और moped का ही ऑप्शन है। इसीलिए वे इस गैप को फिल करने के लिए इंडियन मार्केट में मोटरसाइकिल उतारना चाहते थे, लेकिन उस वक्त Hero के साथ प्रॉब्लम यह थी कि उनके पास इंजन बनाने की टेक्नोलॉजी ही नहीं थी जिसकी वजह से मोटरसाइकिल बनाना उनके लिए तो मुमकिन ही नहीं था।

इसलिए अपने इस प्लान को एक्शन में लाने के लिए उन्होंने किसी विदेशी कंपनी के साथ में collaboration करने के बारे में सोचा। अब उस वक्त भारत में Liberalisation भले ही नहीं आया था, लेकिन उस टाइम गवर्नमेंट इंडियन कंपनीज को यह opportunity देती थी। अगर वह चाहे तो किसी भी विदेशी कंपनी के साथ में tie up करके इंडिया में अपना बिजनेस expand कर सकते हैं। 

इसीलिए बृजमोहन लाल ने Hero के थ्रू दुनिया की सबसे बड़ी मोटरसाइकिल बनाने वाली जापानी कंपनी Honda के पास में अपना प्रपोजल भेजा। अब क्योंकि उस समय कोई भी विदेशी कंपनी भारत में डायरेक्टर ही अपना बिजनेस स्टार्ट नहीं कर सकती थीं। ऐसे में इस प्रपोजल के जरिए Honda को इंडियन मार्केट में एंटर करने का एक अच्छा मौका मिल गया जिसे कि Honda कंपनी खुद भी नहीं गंवाना चाहता था।

इसलिए इन दोनों कंपनी ने 1984 में एक दूसरे के साथ हाथ मिला लिया। Hero और Honda के बीच उस टाइम ये एग्रीमेंट हुआ था। कि Hero बाइक्स के लिए बॉडी बनाएगा और Honda उसके लिए इंजन सप्लाई करेगा। इसके अलावा उन्होंने एक NOC भी साइन की थी, जिसके according दोनों कंपनीज फ्यूचर में कभी भी एक दूसरे के मुकाबले में अपना कोई प्रोडक्ट लॉन्च नहीं करेंगी और दोस्तों दोनों ही कंपनीज इन कंडीशन से सेटिस्फाइड थी। 

इसके बाद से यह डील फाइनल हो गई, और यही से Hero Honda की शुरुआत हुई। अब कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद से Hero Honda का सबसे पहला प्लांट हरियाणा में बनाया गया, जहां से Hero और Honda ने मिल कर तुरंत ही बाइक्स की मैन्युफैक्चरिंग करने स्टार्ट कर दी। 1985 में जब उन्होंने अपनी पहली बाइक CD 100 लॉन्च की तो फिर यह बहुत तेजी से पॉपुलर हुई, क्योंकि इंडियन मार्केट में तो बाइक का कॉन्सेप्ट ही नया था और दूसरा इस बाइक का माइलेज बहुत ही कमाल का था। इसके अलावा उन्होंने अपनी बाइक को price segment में लॉन्च किया था। जो कि हर मिडल क्लास फैमिली के लिए affordable हुआ करता था। साथ ही उन्होंने अपना मार्केट कैंपेन भी बहुत ही प्रभावी तरीके से तैयार किया था। 

जहां इनकी टैग लाइन थी। Fill it shut it forget it यानी की इसमें में पेट्रोल फील करके भूल जाइए। इस टैग लाइन का भी लोगों पर काफी ज्यादा असर हुआ और लोग इस बाइक के दीवाने हो गए थे क्योंकि उन्हें स्कूटर वाला माइलेज अब बाइक में मिल रहा था, लेकिन उसी दौरान जापानी करेंसी में उछाला आ गया जिसकी वजह से जितने भी स्पेयर पार्ट्स जापान से आते थे, वो काफी ज्यादा महंगे होने लगे।

और Hero Honda को अपनी बाइक्स affordable बनाने में काफी दिक्कतें आने लगी। असल में यह प्रॉब्लम यह भी थी। कि उस वक्त Hero Honda के कई सारे competitors इंडियन मार्केट में आ चुके थे। जैसे Suzuki Yamaha, Bajaj और TVS लेकिन यह सारे ब्रांड सिर्फ शहरी इलाकों में रहने वाले wealthy कस्टमर्स पर ही फोकस करते थे। लेकिन वहीं अगर Hero Honda को देखा जाए तो उनका मेन फोकस इंडिया के middle और lower-middle class कस्टमर्स पर था जो कि एक affordable सलूशन चाहते थे।

और यही वजह थी कि Hero Honda की बाइक सिर्फ शहरों में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में ही सबसे ज्यादा सेल होती थी। और यही सब देखते हुए कंपनी अपनी बाइक का प्राइस नहीं बढ़ाना चाहती थी। यहां तक कि इसी की वजह से कंपनी को काफी लंबे अरसे तक लॉस्‌ का भी सामना करना पड़ा। लेकिन 

1990 में जब डॉलर का एक्सचेंज प्राइस रेगुलेट हुआ, तो फिर हालात थोड़े सुधरने शुरू हो गए। और देखते ही देखते कुछ ही समय में Hero Honda एक बार फिर से अपनी बाइक्स पर प्रॉफिट कमाने लगा। और अगले कुछ ही सालों में कंपनी का प्रॉफिट 10 मिलियन डॉलर्स को भी क्रॉस कर गया, जो कि उस जमाने में एक बहुत बड़ा नंबर था। अब यहां तक तो चीजें ऊपर ऊपर से काफी अच्छी नजर आ रही थी। लेकिन अंदर से सिचुएशन बहुत पहले से ही खराब होने शुरू हो गई थी। दरअसल कंपनी के मैनेजमेंट में शुरू से ही कई तरह की प्रॉब्लम चल रही थी जैसे कि Honda तो अपनी बाइक्स अमेरिका और रूस जैसे डेवलप्ड कंट्री में सेल कर रहा था।

Hero Honda को Honda की तरफ से foreign में अपनी बाइक्स को सेल करने की परमिशन नहीं थी। यानी एक तरफ तो Hero साइकिल मैन्युफैक्चर के तौर पर उस समय दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी थी। यहां तक कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी इनका नाम दर्ज था। वहीं दूसरी तरफ Honda की वजह से वह अपनी बाइक foreign मार्केट में सेल नहीं कर पा रही थी। 

असल में इंडिया के बाहर Hero Honda को सिर्फ नेपाल भूटान और बांग्लादेश जैसी आसपास की कंट्रीज तक ही अपनी बाइक को एक्सपोर्ट करना अलाउड था, जिसकी वजह से Hero कंपनी इंटरनेशनल मार्केट में जो पोजीशन चाहती थी, वह उसे नहीं मिल पा रही थी। अब एक तरफ तो Honda काफी तेजी से ग्रो कर रहा था, लेकिन वहीं दूसरी तरफ Hero एक लिमिटेड स्पेस में सीमित होकर रह गया था। जिसकी वजह से इन दोनों कंपनीज के आपसी रिश्ते खराब होने लगे। इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट के according Hero बाइक्स की बॉडी बनाती थी और Honda इंजन अब अगर Hero को अपना बिजनेस Expand करने के लिए अलग भी होना पड़ता, तो फिर वह ऐसा नहीं कर सकते थे।

क्योंकि वो इंजन के लिए पूरी तरह से Honda पर इंडिपेंडेंट थी। हालांकि अब Hero को यह समझ आ चुका था। कि अगर अब उसे Honda से अलग होना है तो फिर खुद ही इंजन मैन्युफैक्चर करना ही पड़ेगा। इसीलिए उसे Hero Honda से अपने हिस्से का जितना भी प्रॉफिट मिलता था, उसके एक बड़े हिस्से को इंजन बनाने में खर्च करने लगा, जिसकी वजह से Honda और Hero के बीच में दरार और भी ज्यादा बड़ी हो गई।

अब जैसा कि इन्होंने collaboration के टाइम NOC साइन किया था कि यह एक दूसरे के मुकाबले में कभी भी बाइक्स नहीं लॉन्च करेंगे, लेकिन Honda ने इसके खिलाफ जाकर साल 1999 में इंडिया के अंदर अपनी एक separate company Honda Motorcycle & Scooter India स्टार्ट कर दी और फिर उसी प्राइस सेगमेंट में ही बाइक लांच करना शुरू कर दिया, जिसमें पहले से ही Hero Honda की बाइक्स मौजूद थी। 

तरह अगर देखा जाए तो इंडियन मार्केट के अंदर Honda ने अपनी बाइक्स को Hero Honda के मुकाबले में लाकर खड़ा कर दिया था, जिसकी वजह से Hero Honda के कस्टमर्स डिवाइड हो गए। और इसके कुछ साल बाद Honda ने एक्टिवा को लॉन्च करके स्कूटर सेगमेंट में भी एंटर कर लिया था। अब अगर देखा जाए तो इस पूरे मामले में Honda की पांचों उंगलियां घी में थी क्योंकि Honda की Hero Honda से तो अर्निग होई रही थी। साथ ही अपनी separate बाइक कंपनी से भी उसका अच्छा खासा प्रॉफिट जनरेट हो रहा था और दोस्तों इन्ही सभी प्रॉब्लम को देखते हुए ही Hero ने Honda से अलग होने का फैसला कर लिया और फिर 2010 में जाकर दोनों ही कंपनीज हमेशा के लिए अलग हो गई।

Hero Honda में इन दोनों कंपनियों के 26, 26% शेयर थे, जिसके चलते Honda मोटर्स ने अपने हिस्से के सारे 26% शेयर Hero कंपनी को ही बेचने का फैसला किया और दोस्तों Hero कंपनी के प्रमोटर बृजमोहन लाल मुंजाल ने Honda के लिए शेयर्स 1.2 अरब डॉलर्स में खरीद कर अपना खुद का कारोबार है।

Hero MotoCorp के नाम से आगे बढ़ाया। अब जब यह दोनों कंपनीज अलग हुई थी तब ज्यादातर लोगों ने यह कहा था कि Honda के बिना Hero मार्केट में कभी भी सरवाइव नहीं कर पाएगी। लेकिन अगर आज की बात करें तो इस समय Hero MotoCorp को दुनिया की सबसे बड़ी मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनियों में शुमार किया जाता है।

बाकी आज की इस पोस्ट में बस इतना ही था। यह पोस्ट आपको कैसी लगा। हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा। आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ