Earth Sun के चारों तरफ चक्कर नही लगाती हमने गलत पढ़ हैं। लिया तो सही क्या है?

क्या आपने भी स्कूल में यही पढ़ा हैं? कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है, तो मैं आपको बता दूं कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर नहीं लगाती है। और इस बात को मैं प्रूफ कर दूंगा, इस पोस्ट में तो इस पोस्ट को पूरा पढ़े ताकि आप समझ पाए कि आखिर यह बात सच कैसे हैं।

तो दोस्तों चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि अगर पृथ्वी सूरज का चक्कर नहीं लगाती तो फिर किसका लगाती है। यहां तक कि केवल पृथ्वी ही नहीं, बल्कि हमारे सोलर सिस्टम के सारे प्लेनेट सूरज का चक्कर नहीं लगाते हैं। उसकी बेरीसेंटर का चक्कर लगाते हैं।

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अब आप लोग सोच रहे होगे कि यह बेरीसेंटर क्या होता है। यही वो सेंटर है जिसका चक्कर हमारी पृथ्वी, सारे प्लेनेट और सूरज भी उसी का चक्कर लगाता है। आपको पता है जब सूरज अपनी एक्सेस पर रोटेट करता है तो एक्चुअली वो वॉबल करता है। उसका कारण भी यह बेरीसेंटर
ही है।

एक्चुअली होता यह है कि हमारी पृथ्वी या फिर कोई भी प्लेनेट हो, हमारे सोलर सिस्टम का जब सूरज का चक्कर लगा रहे होते हैं। तो इन दोनों की मास एक दुसरे मास को कैंसिल आउट करते टाइम रोटेट करते हैं और यह एक पर्टिकुलर सेंटर पॉइंट पर रोटेट करते हैं और यह वह पॉइंट होता है। जहां पर इन दोनों का मास एक दूसरे को स्टेबल करता है और यह पॉइंट बेरीसेंटर कहलाताहै।

जब भी आप लोगों ने सोलर सिस्टम का सिमुलेशन कही भी देखा होगा। किसी भी वेबसाइट पर या फिर कहीं भी तो उसमें सारे प्लेनेट सूरज के आसपास चक्कर लगाते हुए नजर आते हैं। उसका कारण यह है कि जो बैरीसेंटर है, वो हमारे सन के इतना क्लोज है। कि वो बेरीसेंटर एक्चुअली सन के अंदर ही आ जाता है।

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उसी कारण हमें ऐसा लगता है कि सारे प्लेनेट सन का चक्कर लगा रहे हैं तो आइए इसको एक एग्जांपल से समझने की कोशिश करते हैं। आप लोगों ने स्कूल में एक चीज हमेसा ट्राई की होगी। अपने पैन के साथ की आप उसको अपनी एक फिंगर पर रूटेड कराने की कोशिश करते हैं और उसका सेंटर आप कभी भी बिल्कुल एक्जेक्ट सेंटर पर नहीं लेते। आप हमेशा जो उसका कैप होता है उसके पास आपकी फिंगर का सेंटर आप ले जाते हैं।


उसका कारण आपको पता है कि क्यों? उसका कारण यह है क्योंकि उस साइड पेन का मास ज्यादा है और दूसरी साइड पेन का मास कम है तो उसको स्टेबिलिटी देने के लिए आपको कैप के पास अपनी फिंगर रखनी पड़ती है ताकि मास स्टेबल रहे और फिर आप जब उसको घुमाते हो तो वह आराम से घूमता है तो वह जो सेंटर पॉइंट है जो कैप को और आपके पैन के एंड पॉइंट को स्टेबल कर रहा है, वह उसके मास का सेंटर हो जाता है।

यही एक तरीके से बेरीसेंटर भी है। आप समझ लीजिए कि आपका जो पैन का एंड पॉइंट है, एक जिसमें कैप नहीं लगा है। वहां पर अर्थ है और जहां पर कैप लगा हुआ है, वहां पर् सन है। तो जब आप दोनों को रोटेट करोगे तो उनको स्टेबल करने के लिए आपको उसका एक सेंटर प्वाइंट ढूंढना पड़ेगा और वह जो सेंटर प्वाइंट होगा, वह सन के पास आएगा।

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उसका कारण यह है कि सन का मास बहुत ज्यादा है और वह सेंटर सन के अंदर ही आ जाता है क्योंकि सन का मास बहुत ज्यादा है और उस सेंटर को सन के अंदर आने के कारण वो जब घुमाता हैं तो वो वॉबल करता है और जब यह सेंटर सन के अंदर आ जाता है। तो देखने पर ऐसा लगता है कि सारे प्लेनेट सन का चक्कर लगा रहे हैं।

लेकिन अब आप लोगो को पता चल चुका है कि वह किस चीज का चक्कर लगा रहे हैं। और यह जो हमने एग्जांपल जाना है। यह तो केवल अर्थ और सन का था, लेकिन हमारे सोलर सिस्टम में जितने भी प्लैनेट्स हैं उनका मास और जो सन टोटल मास है उनका मास का जो बेरीसेंटर आता है यह पूरा सोलर सिस्टम उस एक्सेस पर रोटेट करता है।

इस उनिवर्स या फिर वह कोई भी ऑब्जेक्ट हो या तो कोई सन हो, कोई प्लेनेट हो, कोई क्वासर हो, कोई ब्लैक होल हो, कोई पल्सर हो या फिर कोई न्यूट्रॉन स्टार ही क्यों ना हो। वह सारे के सारे इसी सेंटर पर रोटेट करते हैं। अगर किसी दूसरी बॉडी के ग्रेविटेशनल फोर्स कांटेक्ट में आते हैं तो, तो दोस्तों मैं उम्मीद करता हूं कि बेरीसेंटर सेंटर कांसेप्ट आपको अभी पूरा क्लियर हो चुका होगा और अगर अभी भी आपको कुछ डाउट है तो नीचे कमेंट सेक्शन में लिखे मै आपके डाउट के आंसर्स दूंगा।

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