Tata से क्यों बिक रही है Bisleri? Why Tata Group Acquiring | Ramesh & Jayanti Chauhan

कहते हैं कि जब लोग आप को कॉपी करने लगे ना तो समझ लीजिए कि आप सफल हो चुके हैं। अब जिस तरह आज मार्केट में लोग Bisleri के नाम को तोड़ मरोड़ कर इसे कॉपी करके मार्केट में सेल करते हैं, उससे ये पता चलता है कि क्यों Bottle Water की कैटेगरी में Bisleri का नाम सबसे पहले आता है। पानी का यह ब्रांड आज इतना फेमस हो चुका है कि लोग इसे सबसे प्योर और सेफ मिनरल वाटर मानते हैं और तभी तो कहते हैं कि हर पानी की बॉटल Bisleri नहीं होती। 

लेकिन यह आपको जानकर हैरानी होगी कि सफलता की बुलंदियों पर नजर आने वाला Bisleri आज बिकने के लिए तैयार खड़ा है और इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि Bisleri के चेयरमैन रमेश चौहान अपनी इस कंपनी को सिर्फ टाटा को ही बेचना चाहते हैं। अब ऐसा क्यों? हम आज की इस आर्टिकल में सब कुछ जानेंगे

Tata से क्यों बिक रही है Bisleri? Why Tata Group Acquiring | Ramesh & Jayanti Chauhan

अब Bisleri क्यों बिक रहा है इसके बारे में जानने से पहले हमें इस कंपनी की वैल्यूज जौर हिस्ट्री को जरूर जाना चाहिए कि आख़िर यह कंपनी भारत आई कैसे और किस तरह इस विदेशी कंपनी ने पूरे भारत को पानी खरीदकर पीना सिखाया।तो दोस्तों Bisleri बेसिकली एक इटालियन कंपनी है, जिसे 1965 में Felice Bisleri ने स्टेबलिश किया था। 

यह कंपनी इसी साल यानी कि 1965 में ही भारत आई जहां इंडियन बिजनेसमैन Kushroo Suntook ने इटालियन डॉक्टर Cesari Rossi के साथ मिलकर इंडिया को Bottled water के concept से introduce कराया। उस समय उन्होंने Bisleri का पहला प्लांट मुंबई के ठाणे में बनाया था। शुरुआत के उस दौर में Bisleri ने मार्केट के अंदर अपने दो प्रोडक्ट लॉन्च किए थे, जिसमें पहला था Bisleri Soda और दूसरा Bisleri Water तब Bisleri के यह दोनों प्रोडक्ट सिर्फ बड़े-बड़े होटल्स में ही मिलते थे। 

लेकिन बाद में धीरे-धीरे इन्हें नॉर्मल मार्केट में भी उतारा गया। पर आम भारतीय लोगों को पानी खरीदकर पीना उस टाइम बेफिजूल खर्च लगता था। ऐसे में बहुत कोशिश करने के बाद भी कंपनी अपने products को सेल करने में नाकाम रही और कुछ ही सालों में कंपनी की हालत इतनी खराब हो गई कि नुकसान से बचने के लिए Kushroo Suntook ने अपनी कंपनी को बेचने का फैसला कर लिया।
इस तरह 1969 में पारले ग्रुप के चेयरमैन रमेश चौहान ने Bisleri को ₹4 लाख में खरीदा जो कि उस समय के $50 हज़ार डॉलर्स के बराबर हुआ करता था। 


रमेश चौहान का मोटीव Bisleri को एक Soda ब्रांड के रूप में डेवलप करना था और इसके लिए उन्होंने पूरे देश में Bisleri की 5 स्टोर्स भी ओपन किए जिसमें से एक कोलकाता में था और बाकी चार मुंबई में लेकिन 1977 में जब गवर्नमेंट पॉलिसीज की वजह से Coca-cola ने इंडियन मार्केट से एग्जिट लिया तो इस मौके का फायदा उठाने के लिए रमेश चौहान ने Bisleri के अंदर ही Limca, Thums Up और Gold Spot जैसे सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड इंडियन मार्केट में लॉन्च कर दिए। 

लेकिन 1991 में economic liberalization होने पर Coca-cola इंडियन मार्केट में वापस आ गई और 1993 में उसने Bisleri से उसके सारे सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड ₹400 करोड़ रुपए में खरीद लिए। अब इस डील में एक Non-comtet clause भी शामिल था, जिसके अकॉर्डिंग Bisleri अब अगले 15 साल तक कार्बोनेटेड ड्रिंक का बिजनेस नहीं कर सकती थी।

यही वह समय था जब रमेश चौहान का ध्यान पहली बार Bottled Water इंडस्ट्री पर गया, और उन्होंने यह ठान लिया कि अब वह Bisleri को सिर्फ एक Bottled Water ब्रांड के रूप में ही आगे लेकर जाएंगे। इसके बाद से रमेश चौहान ने Bisleri का प्रमोशन कुछ ऐसा किया कि लोग इसे मार्केट में मिलने वाले सबसे प्योर एंड सेफ पानी के रूप में देखने लगे। 


हालांकि शुरुआती दिनों में उन्हें अपने इस ब्रांड को लोगों तक पहुंचाने और इसके ट्रांसपोर्टेशन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। क्योंकि पानी की कीमत तो कम थी लेकिन वजन ज्यादा था, इसलिए कोई भी ट्रांसपोर्टेशन कंपनी Bisleri के ट्रांसपोर्टेशन के लिए आसानी से एग्री नहीं होती थी।
लेकिन रमेश चौहान ने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे उन्होंने अपना खुद का ट्रांसपोर्टेशन शुरू कर दिया। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज पूरे भारत में Bisleri के पास 5 हज़ार ट्रक, 3 हज़ार डिस्ट्रीब्यूटर और 135 ऑपरेशनल प्लांट्स का एक कंप्लीट नेटवर्क है। वैसे दोस्तों इंडिया के Bottled Water मार्केट की अगर बात करें। तो हमारे देश में यह करीब 20 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा की मार्केट है और इसमें भी अकेला Bisleri 60% का हिस्सेदार है। लेकिन फिर सवाल यही उठता है कि अगर Bisleri इतना ही सक्सेसफुल कंपनी हैं। तो कंपनी के चेयरमैन रमेश चौहान इसे आखिर बेचना क्यों चाहते हैं? 

असल में दोस्तों Economic Times की एक रिपोर्ट के अकॉर्डिंग रमेश चौहान अब 82 साल के हो चुके हैं, और पिछले कुछ सालों से उनकी हेल्थ भी कुछ खास ठीक नहीं रहती। जिसके चलते अब आगे वह अपने बिजनेस को टाइम नहीं दे पा रहे हैं। इसके अलावा उनके पास अपने इस कारोबार को आगे चलाने के लिए कोई वारिश भी नहीं है। क्योंकि उनकी इकलौती बेटी जयंती चौहान अपने पिता के इस बिजनेस को संभालने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं रखती। 


हालांकि ऐसा नहीं है कि जयंती को बिजनेस की समझ नहीं है। इनफैक्ट अभी कुछ समय पहले तक यह Bisleri में वाइस चेयरमैन के पद पर काम कर रही थी। और उन्होंने दिल्ली व मुंबई दोनों ऑफिसेस को संभाला हुआ था। इसके अलावा वे कंपनी के प्रोडक्ट डेवलपमेंट इसके अलावा वे कंपनी के प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मार्केटिंग एडवर्टाइजमेंट, प्रोडक्ट ऑपरेशन कम्युनिकेशन और ब्रांड मैनेजमेंट के साथ-साथ डिजिटल मार्केटिंग का काम भी देखती थी। और उनकी लीडरशिप में Bisleri ने सफलता की कई ऊंचाइयां भी हासिल की हैं। 

लेकिन अब वह इस काम को आगे नहीं करना चाहती हैं। वैसे अभी तक जयंती चौहान की तरफ से इसके बारे में कोई खुलासा नहीं किया गया है। लेकिन हो सकता है कि वह कोई अपना अलग बिजनेस शुरू करना चाहती हो।असल में जयंती चौहान ने लंदन से फैशन डिजाइनिंग और फैशन स्टाइलिंग का कोर्स किया है। ऐसे में लोग यह अनुमान लगा रहे हैं कि शायद आगे जाकर अब वह अपने इस पैशन को ही अपना बिजनेस बनाएंगी। अब दोस्तों कंपनी को छोड़ने की उनकी अपने पर्सनल रीजन हो सकते हैं। ऐसे में उनके इस फैसले की वजह से हमें उनकी काबिलियत पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। क्योंकि जो लड़की Bisleri जैसे बड़े ब्रांड को संभाल सकती है, वह अपना खुद का बड़ा बिजनेस भी तो खड़ा कर सकती है।

अब दोस्तों हमने Bisleri के बिकने का रीजन तो जान लिया, लेकिन अब लास्ट में सवाल यही रह जाता है कि रमेश चौहान अपनी यह कंपनी सिर्फ़ को टाटा को ही क्यों बेचना चाहते हैं। असल में रमेश चौहान ने Bisleri ब्रांड को बहुत मेहनत से खड़ा किया है और उन्हें अपने इस बिजनस से लगाव भी बहुत है। ऐसे में वह अपने इस बिजनेस को एसएससी हाथों में सौंपना चाहते हैं, जो कि इस ब्रांड को सफलता की और भी नई ऊंचाइयों पर लेकर जाए।


अब क्योंकि उनका अपना कोई वारिश नहीं है तो ऐसे में उन्हें इंडिया के अंदर टाटा के जैसा शायद कोई ट्रस्टेड कंपनी नजर नहीं आता। जो इस काम को सही से और वफादारी से अंजाम दे सकें। वैसे दोस्तों आपको बता दें कि टाटा और Bisleri की यह डील 6 से 7 हज़ार करोड रुपए के बीच में होने की उम्मीद की जा रही है। जहां टाटा ग्रुप की टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड Bisleri को खरीदने जा रही है। 

वैसे कुछ सोर्सेज की मानें तो रिलायंस रिटेल, Nestle और Danone जैसी फेमस कंपनीज भी पहले Bisleri को खरीदने का ऑफर दे चुकी हैं, लेकिन रमेश चौहान ने इन सभी डील्स को एक्सेप्ट नहीं किया। खैर जो भी हो लेकिन यह बात तो तय है कि अगर टाटा ग्रुप Bisleri को खरीद लेती है तो इस डील के बाद से टाटा Bottled Water इंडस्ट्री में भी सबसे बड़ा प्लेयर बन जाएगा।

इनफैक्ट जब इस डील की बात न्यूज़ में आई थी ना तब से टाटा कंज्यूमर के शेयर्स में भी 3% का उछाल देखा गया है। वैसे दोस्तों आप खुद ही सोचिए कि 1969 में जो कंपनी सिर्फ ₹4 लाख में खरीदी गई थी। आज उसकी कीमत ₹7 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। नो डाउट Bisleri की इस सक्सेस का पूरा पूरा क्रेडिट रमेश चौहान को ही जाता है। और उनकी इस कंपनी को बेचने के पीछे चाहे जो भी वजह हो लेकिन इंडिया में Bottled Water इंडस्ट्री को लाने के लिए उनको हमेशा याद किया जाएगा। लेकिन अब देखना यह भी है कि टाटा कंज्यूमर इतने बड़े ब्रांड को और भी नई ऊंचाइयों पर किस तरह से लेकर जाती है।

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