How Reliance Killing Coca Cola & Pepsi

ठंडा मतलब Coca-Cola! कुछ इस तरह की इमेज क्रिएट करके आज के टाइम में Coca-Cola ने अपनी मोनोपोली क्रिएट कर ली है। और आपको जानकर हैरानी होगी कि आज मार्केट में मैक्सिमम Soft Drink या तो Coca-Cola के अंडर में आती हैं। या फिर PepsiCo जैसे कि Mirinda, Mountain Dew और 7up यह सब PepsiCo के प्रोडक्ट्स हैं।  वहीं Thums up, maaza, Fanta, Sprite और Limca Coca-Cola के लेकिन इंडिया में एक समय ऐसा भी था, जब यही Coca-Cola और Pepsi Campa Cola के सामने कुछ भी नहीं थी। लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि Campa Cola मार्केट में आज सिर्फ नाम का ही रह गया है। इसके डाउन फॉल की वजह क्या थी? और आने वाले टाइम में यह Reliance के अंडर कैसे जोरदार कमबैक करने की तैयारी में है। आइए इस आर्टिकल में हम डिटेल से समझते हैं।

Campa Cola History In Hindi, कैंपा कोला क्यों बंद हुआ?, भारत में कैम्पा कोला की शुरुआत किसने की?, रिलायंस कैंपा कोला क्यों खरीद रही है?, कैंपा कोला की

अब वैसे तो Coca-Cola की शुरुआत 1886 में Georgia के Atlanta सिटी से हुई थी। लेकिन इंडियन मार्केट में यह ब्रांड 1956 में एंटर हुआ था। शुरुआती साल Coca-Cola के लिए बहुत सुनहरे साबित हुए थे, क्योंकि इंडियन मार्केट में इसने मैसेज सक्सेज अचीव कि और खूब प्रॉफिट कमाया। 
Actully कोक के सक्सेस के पीछे का मेन रीजन था इसका कोई भी Competitor ना होना। पर 
1974 की शुरुआत में इनके यह अच्छे दिन खत्म होने शुरू हो गए। क्योंकि इंडिया  में Foreign Exchange Regulation Act, यानी फेरा लागू कर दिया गया, जिसके अकोडिंग हर Foreign Companies जो इंडिया में अपना बिज़नेस ऑपरेट कर रही थी। उन्हें अपनी कंपनी का 60% शेयर और प्रोडक्ट्स से रिलेटेड टेक्निकल इनफॉरमेशन शेयर करनी होती थी। 

अब चूकि Coca-Cola इंडियन मार्केट में पूरी तरह से पैर पसार चुका था। ऐसे में उसने यहां से बोरिया बिस्तर समेटने की जगह 60% शेयर देने में ही अपनी भलाई समझी। लेकिन कंपनी ने अपनी सीक्रेट रेसिपी और टेक्निकल इनफॉरमेशन को शेयर करने से साफ इनकार कर दिया। और यही वजह थी कि उस टाइम के प्राइम मिनिस्टर मोरार्जी देसाई ने 1977 में Coca-Cola को देश से बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब Coca-Cola के इंडिया से जाने के बाद भारत में भी एक ऐसी कंपनी थी जो बंद होने के कगार पर पहुंच गई। और वह थी प्योर ड्रिंक्स जिसने शुरुआत से लेकर एंड तक Coca-Cola की सारी बॉटल्स मैन्युफैक्चरर करने के अलावा टोटल मार्केटिंग सेल्स एंड एडवर्टाइजमेंट का भी काम संभाला हुआ था। 

यही वजह थी कि सरकार के इस फैसले से प्योर ड्रिंक के मालिक चरणजीत सिंह बेहद नाखुश थे, क्योंकि बात 2800 एंप्लाइज की रोजी रोटी और कारोबार बचाने की थी। अब उसी टाइम चरणजीत सिंह ने देखा कि भारत के लोग Coca-Cola के आदि हो चुके हैं।  ऐसे में उन्होंने 1977 में एक इंडियन Soft Drink को लॉन्च किया और यहीं से हम सभी को मिली। हमारी स्वदेशी सॉफ्ट drink Campa Cola, जो मार्केट में आते ही पारले ग्रुप की Soft Drink थम्स अप को टक्कर देने लगी। उसी साल यानी 1977 में ही इंडिया की एक और स्वदेशी Soft Drink लॉन्च हुई। Double Seven लेकिन इसका टेस्ट लोगों को कुछ खास पसंद नहीं आया।

जिसके चलते धीरे-धीरे इसकी डिमांड मार्केट से fade off होती चली गई। वहीं दूसरी तरफ Campa Cola लोगों को खूब पसंद आ रही थी, और गुजरते दिनों के साथ यह अपने मार्केट शेयर को भी एक्सपेंड करते जा रही थी। अब वैसे तो Campa Cola की Rapid Expension के पीछे का पहला रीज़न था। Coca-Cola का बेस्ट अल्टरनेटिव बनना। लेकिन इसने अपने कमाल की मार्केटिंग स्ट्रेटजी से भी खूब सक्सेस हासिल की जो कि Campa Cola ने अपने एडवर्टाइजमेंट से यूथ को टारगेट किया था। और सब के दिलों पर राज करने वाले सलमान खान को अपना ब्रांड अंबेसडर बनाया।


इसका स्लोगन था द ग्रेट इंडियन टेस्ट जो कि लोगों के बीच में खूब पॉपुलर हुआ। और कुछ इसी तरह से Campa Cola को Coca-Cola की जगह लेते और मार्केट में आई इस गैप को फिल करने में देर नहीं लगी। अपनी पहली Soft Drink की पॉपुलरटी के बाद Campa Cola ने दो और Soft Drinks मार्केट में लॉन्च किए, जिनमें से एक थी कैंपा ऑरेंज और है और दूसरी थी। कैंपर लाइम एंड लेमन यह दोनों फ्लेवर्स भी लोगों को खूब पसंद आए, और अब Campa Cola धीरे-धीरे इंडियन Soft Drink सेक्टर का लीडर बनता चला गया। 

दिल्ली में इसने 4 फैक्ट्रीज ओपन कर ली थी। और वही अगर हम ऑल ओवर इंडिया की बात करें तो इसकी 50 से भी ज्यादा फैक्ट्रीज थी। और दोस्तों Campa Cola 15 सालों तक मार्केट में टॉप पर रही थी। जिसका एक इकलौता Competitor था, thums up लेकिन Coca-Cola की तरह ही Campa Cola के भी सुनहरे दिन ज्यादा समय के लिए नहीं टिके और हैरानी की बात यह है कि Campa Cola की सक्सेस ओर फैलियर दोनों की वजह Coca-Cola ही बना। 

अब हुआ कुछ यूं कि 1991 में इंडिया के अंदर लिबरलाइजेशन की शुरुआत हुई, और इंडियन मार्केट को Foreign Companies के लिए ओपन कर दिया गया। जिसके बाद Ford, Toyota, Sony, Samsung और Nokia जैसी कई मल्टीनेशनल कंपनीज इंडिया में एंटर हुई। और इसी के साथ रिएंटर हुआ Coca-Cola जिसने आते ही Campa Cola का डाउन फॉल शुरू कर दिया। दोस्तों अभी तक हमने यह जाना था। कि कैसे 1991 में लिबरलाइजेशन के बाद कोका-कोला ने वापसी की और यहीं से Campa Cola का डाउन फॉल शुरू हो गया। 

वैसे यह विदेशी कोला ब्रांड इकोनामिक लिबरलाइजेशन से पहले ही इंडिया में अपनी जगह बनाने की ट्राई कर रहे थे, और उस टाइम के पीएम राजीव गांधी भी Pepsi की वापसी के सपोर्ट में थे। इसीलिए Pepsi ने इंडियन मार्केट में लिबरलाइजेशन के 2 साल पहले यानी 1989 में ही वापसी कर ली थी। लेकिन यही टाइम था जब इंडिया में कोलावार शुरू हो गया। Pepsi की वापसी ने काफी पोलिटिकल डिबेट शुरू कर दी थी।


यहां तक कि Thums up के को फाउंडर प्रकाश चौहान ने भी इसका काफी विरोध किया, लेकिन इन सब को इग्नोर करते हुए Pepsi अपनी मार्केट पोजीशन को इंप्रूव करने में लगी हुई थी। अब उस समय Pepsi और Coca-Cola मल्टीनेशनल कंपनीज थी जिनके पास फंड्स की कोई कमी नहीं थी। इसीलिए उन्होंने अपनी मार्केटिंग पर खूब पैसे बहाए, कई सारे कैंपेन चलाए, और इसका असर यह हुआ कि जल्दी लोगों ने Pepsi और Coca-Cola को दोबारा से अपनाना शुरू कर दिया। और इसका नेगेटिव इंपैक्ट पड़ा। 

Campa Cola जैसी और भी कई सारी स्वदेशी Soft Drinks के ऊपर मार्केट में Soft Drinks का कंपटीशन इतना ज्यादा बढ़ गया था कि लगभग सभी छोटे कोला ब्रांड की फैक्ट्री शट डाउन होने लगी। और बाकी लोकल कंपनीज की तरह 2001 में Campa Cola को भी अपना दिल्ली बेस्ट बॉटलिंग प्लांट बंद करना पड़ा, और आगे चलकर 2009 आते-आते यह सिर्फ हरियाणा तक ही सीमित होकर रह गया। 

जहां अभी भी बहुत कम क्वांटिटी में इसका प्रोडक्शन किया जाता है। लेकिन खुशी की बात यह है, कि आने वाले कुछ महीनों में आप अपने एरिया के मॉल्स में Campa Cola के लोडेड बॉक्स दोबारा देख सकते हैं। क्योंकि यह वापस से मार्केट को डोमिनेंट करने के लिए फुल प्रूफ प्लान के साथ आ रहा है। वह भी Reliance जैसे गैंट्स की लीडरशिप में असल में Reliance इंडस्ट्रीज ने Campa Cola को कोल्ड ड्रिंक्स ग्रुप से ₹22 करोड़ में एक्वायर कर लिया है।

लेकिन अब सवाल यह है कि एक डूबी हुई कंपनी को एक्वायर करने के पीछे का रीजन क्या है? अब इसे समझने के लिए हमें Reliance इंडस्ट्रीज के 45th एनुअल मीटिंग को देखना होगा, जिसमें कंपनी ने FMCG इंडस्ट्रीज में एंटर करने का अनाउंसमेंट किया था। इस अनाउंसमेंट से यह साफ है कि Textile, Energy, Retail, Telecommunication जैसे सेक्टर्स में कमाल दिखाने के बाद अब Reliance FMCG यानी Fast Moving Consumer Goods सेक्टर को भी डॉमिनेट करने का प्लान बना चुका है।


लेकिन सवाल यह है कि FMCG सेक्टर ही क्यों? तो बेसिकली FMCG सेक्टर इंडियन इकॉनमी का फोर्थ लार्जेस्ट सेक्टर है। और यह मेनली तीन कैटेगरी में डिवाइडेड है, जिसमें Food & Beverages, Healthcare और House Hold Personal Care शामिल है। और Reliance अपनी Reliance रिटेल बिजनेस के थ्रू FMCG सेक्टर में इंटर करके, इंडियन इकॉनमी के फोर्थ लार्जेस्ट सेक्टर में भी अपनी पकड़ बनाना चाहता है।

अब सवाल यह है कि क्या एक बार फिर हमें Campa Cola के केस में Jio के ही जैसे  मार्केट देखने को मिलेगी? और क्या यह strategy इस बार भी उतनी सक्सेसफुल होगी। अब इन पॉइंट पर भी Experts की अलग-अलग राय है। जिनमें कुछ Experts तो इसे Jio 2.O का भी नाम दे रहे हैं। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जिओ की सक्सेस की मेन वजह थी। बाकी टेलीकॉम कंपनीज के पास फंड्स और रिसोर्सेज की काफी कमी क्योंकि यह कंपनीज इतनी ज्यादा कर्ज में डूब चुकी थी, कि जिओ ने मार्केट में एंटर करते ही सभी को पीछे छोड़ दिया।

लेकिन वहीं FMCG सेक्टर में पहले से ही कई सारे बड़े-बड़े गैंटस मौजूद हैं, जिनके पास ना तो फंड की कमी है और ना ही रिसोर्सेज की ऐसे में वो Reliance को बराबरी का टक्कर देते नजर आएंगे। लेकिन दोस्तों यहां पर कुछ Experts का मानना है, कि Reliance निरमा मोमेंट जैसे प्लान पर काम कर रही है। अब Nirma Moment क्या है? इसे समझने के पहले Campa Cola की प्राइस पर नजर डालते हैं। जो Jiomart पर ऑलरेडी बिकना शुरू हो गया है। इस प्लेटफार्म पर Campa Cola की 600ml बॉटल मात्र ₹15 और 2 लीटर बोतल सिर्फ ₹49 में बिक रही है।

वहीं अगर हम Pepsi और Coca-Cola को देखें तो इनके 2 लीटर की बॉटल्स की कीमत करीब ₹95 है। ऐसे में यह साफ देखा जा सकता है कि Reliance ने Campa Cola के प्राइस को अलमोस्ट हॉफ कर दिया है, और दोस्तों निरमा ने भी 90s के दौरान कुछ ऐसा ही प्राइस गेम खेला था। जब उसने देखा कि P&G और हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड जैसी बड़ी कंपनीज उसे मार्केट में जगह नहीं बनाने देंगी। ऐसे में निरमा ने अपने वॉशिंग पाउडर को मार्केट प्राइस से 75% कम दाम पर बेचा था। अब इसका असर यह हुआ कि बहुत ही कम समय में निरमा ने हर घर में अपनी जगह बना ली थी।


लेकिन इसकी यह अच्छे दिन ज्यादा लंबे समय तक नहीं रहे, क्योंकि हिंदुस्तान युनिलीवर लिमिटेड ने भी कुछ समय बाद लो प्राइस वाली कैटेगरी में अपना Wheel वाशिंग पाउडर लॉन्च कर दिया। और वापस से अपने मार्केट शेयर को कैप्चर कर निरमा को पीछे धकेल दिया। इसलिए Campa Cola लो प्राइस के साथ कितनी लंबी रेस का घोड़ा बनेगा। यह कहना काफी मुश्किल है, क्योंकि Coca-Cola और Pepsi जैसी कंपनीज इस प्राइस गेम को क्रैक करने का कोई ना कोई रास्ता तो जरूर ढूढ़ लेंगी। लेकिन हम तो अभी भी कह सकते हैं कि Campa Cola इंडियन Soft Drink मार्केट को जरूर डोमिनेट कर पाएगी। 

क्योंकि Reliance के पास एक बहुत स्ट्रांग Distribution Network हैं, जिसमें 16700 स्टोर्स 7000 से भी ज्यादा सिटीज में अवेलेबल है। और इन स्टोर्स वो Campa Cola को काफी तेजी से लोगों तक पहुंचा सकती है। इसके अलावा Jiomart की स्ट्रांग सप्लाई चैन भी कंपनी के बहुत कम आने वाली है। जिसके जरिए वह हर छोटे-बड़े किराना स्टोर तक इसे पहुंचाकर Campa Cola की विजिबिलिटी को कई गुना बढ़ा सकती हैं। अब यह तो आने वाले टाइम में ही पता लगेगा कि Reliance कैसे Coca-Cola और पेप्सिको को पीछे छोड़ेगी। लेकिन As Indian हम जरूर चाहेंगे कि Campa Cola वापसी करें और पूरी दुनिया पर राज करें।

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