INDIGO King of Indian Airline | How Indigo Destroyed Kingfisher, Jet Airways & Sahara

Aviation Sector एक ऐसी Industries है, जिसे इंडिया में हमेशा से Unprofitable माना गया है। और इस Sector के अंदर हमने बहुत सी बड़ी बड़ी कंपनीज को भी बर्बाद होते हुए देखा है। जैसे कि पिछले 10 सालों में भारत के अंदर Jet Airways, Kingfisher, Sahara Airline और यहां तक कि Air Deccan जैसे बड़े प्लेयर्स भी प्रॉफिट नहीं कमा पाए। और मजबूरी में इन्हें Aviation Sector से ,बाहर का रास्ता देखना पड़ा। लेकिन इन्हीं Airlines के बीच एक ऐसी कंपनी भी थी, जो साल दर साल अपने प्रॉफिट को लगातार बढ़ाती जा रही थी। 

जी हां, मैं किसी और नहीं बल्कि इंडिया के Aviation Sector में क्रांति लाने वाली कंपनी IndiGo की बात कर रहा हूं। जिसके जरिए लगभग भारत के हर 100 में से 57 पैसेंजर्स ट्रैवल करते हैं। अब कैसे अपनी बेहतरीन Strategy से इंडियन Aviation मार्केट के बड़े-बड़े Gaints को भी पीछे छोड़ कर IndiGo ने नंबर वन की पोजीशन हासिल कर ली, और सबसे सस्ते टिकट देने के बावजूद किस तरह पिछले 10 सालों से यह Airline कंटीन्यूअसली प्रॉफिट कमा रही है? चलिए इन सभी सवालों का जवाब हम डिटेल में जानते हैं।
how-indigo-destroyed-kingfisher-jet-airways--sahara

तो दोस्तों 2006 में IndiGo Airlines को राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने शुरू किया था।  जब यह दोनों फाउंडर्स ने इंडियन Aviation स्पेस में एंटर किया था, तब मार्केट में Air India, Deccan और Jet Airways की तरह कई बड़े-बड़े Gaints पहले से ही मौजूद थे। अब इन Airlines का इंडिया के आसमान में तो बड़ा कब्जा दिखाई देता था, लेकिन असल में यह कंपनीज लगातार लॉसेस फेस कर रही थी। वैसे तो IndiGo Airline को 2004 में ही लाइसेंस मिल गया था। 

लेकिन बाकी कंपनीज के लॉसेस को देखकर इनके फाउंडर इस Sector में आगे बढ़ने से घबरा रहे थे। और यही वजह है कि 2 सालों तक काफी Deep Strategy बनाने के बाद, फाइनली 4 अगस्त 2006 को IndiGo ने अपनी पहली उड़ान भरी। अब शुरुआत के कुछ साल बाकी Airlines की तरह IndiGo को भी नुकसान झेलना पड़ा। जहां 2006-7 में 200 करोड़ रुपए तो वही 2007-8 में 234 करोड रुपए डूब गए। पर इनकी प्लानिंग इतनी जबरदस्त थी की 2008 के बाद अचानक IndiGo प्रॉफिट कमाने लगी

क्योंकि जहां इस टाइम सभी Airlines डूब रही थी। वही IndiGo को 2009 में 82 करोड रुपए तो 2010 में 484 करोड रुपए का प्रॉफिट हुआ। और दोस्तों ध्यान दीजिएगा। यह वह समय था जब पूरी दुनिया The Great Recession से उभरने में लगी हुई थी। और फिर एक बार प्रॉफिट में आने के बाद से तो IndiGo ने फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा, और इनके फायदे साल दर साल लगातार बढ़ते ही चले गए। पर क्या आपको पता है? IndiGo ने अपनी मोनोपोली क्रिएट की इन तीन pillars पर फोकस करके। 01. Low Fare, 02. Being On Time,  और 03. Delivering A Hassle-free Experience अब Aviation इंडस्ट्री में Airlines को शुरुआत करने के लिए पानी की तरह पैसे बहाने पड़ते हैं।

लेकिन यहां पर जो पहले से मौजूद Airlines थी, वह भी अपने टिकट प्राइस पर नाममात्र का ही प्रॉफिट कमा पा रहे थे। ऐसे में IndiGo के लिए चैलेंज ये था कि उन्हें पहले तो मार्केट के Existing Airline से कम प्राइस पर टिकट ऑफर करने थे, और दूसरा खुद को प्रॉफिट में भी रखना था। वैसे तो यह काम किसी भी नए Airline के लिए बहुत कठिन था, लेकिन IndiGo ने ऐसा करके दिखा दिया। पर किया कैसे? यह समझने के लिए हमें वापस 2005 में चलना पड़ेगा।


जब IndiGo अपना बिजनेस मॉडल प्लान कर रहा था। उस समय इसने Earbus को 100 Aircraft का Bulk ऑर्डर दिया था, जिसकी ऑर्डर वैल्यू 6 बिलीयन डॉलर्स थी।  और यह उस टाइम Aviation हिस्ट्री की सबसे बड़ी डील थी।अब Earbus के Aircraft 1988, 90 और 92 में इंडिया के अंदर कई बड़ी दुर्घटना के शिकार हो गए थे। इसलिए बाकी कंपनीज सिर्फ Boeing Aircraft को ही खरीदना प्रेफर करती थी। और Earbus को इंडियन मार्केट से अलविदा कहना पड़ गया था। लेकिन सवाल यह है कि राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने Earbus के Aircraft को खरीदने का रिस्क ही आखिर क्यों लिया? Actually दोस्तों इसके पीछे भी बहुत सोची समझी चाल थी। 

असल में अपने Aircrafts की सारी प्रॉब्लम पर काम करके, उसे फिक्स करने के बाद Earbus इंडियन मार्केट में रिएंटर करने का एक गोल्डन चांस तलाश रहा था। ऐसे में जब उसे इंडिया से 100 Aircraft का बल्क ऑर्डर मिला तो उसने उस आर्डर पर एक बहुत बड़ा डिस्काउंट भी दिया। और कुछ रिपोर्ट्स का तो कहना है कि यह डिस्काउंट 50% तक था। अब इससे आप अंदाजा लगा ही सकते हैं। कि IndiGo को कितना ज्यादा प्रॉफिट हुआ होगा।

लेकिन फाउंडर्स का प्लान सिर्फ सस्ते प्राइस पर Aircraft को खरीदकर उन्हें आसमान की सैर करना नहीं था, बल्कि उन्होंने इससे बहुत आगे की सोच कर रखी थी। और अपनी इसी प्लान पर अमल करते हुए। इन्होंने Sale and Lease Back Strategy को अपनाया, यानी कि IndiGo ने पहले आधे दाम पर Aircrafts खरीदे और फिर उसे करंट मार्केट प्राइस के अकॉर्डिंग 20 या 30% के प्रॉफिट के साथ एक Aircraft Leasing कंपनी BOC  Aviation को बेच दिया।

अब इस Strategy से उन्होंने Aircraft को खरीदने में लगने वाला कॉस्ट भी Recover कर लिया। साथ ही 20 से 30% का प्रॉफिट भी कमा लिया। और दोस्तों जैसा कि IndiGo के फाउंडर्स पहले से ही जानते थे कि Aviation इंडस्ट्री एक बेहद रिस्की फील्ड है। और पहले ही बहुत सारी Airlines यहां अपने लॉसेस को रिकवर करने में लगी हुई हैं। इसीलिए इन Aircraft को बेचने से सबसे बड़ा फायदा यह हुआ, कि किसी भी मुश्किल समय में Survival करने के लिए कंपनी ने खुद को पहले से ही प्रिपेयर कर लिया था।


लेकिन सवाल यह है? कि जब सारे Aircraft बेची दिए तो फिर उड़ान कैसे भरेंगे। Earcrafts को Lease पर लेकर जी हां आपने बिल्कुल सही सुना। IndiGo ने वापस उसी Leasing कंपनी BOC से ही 5 से 8 साल के लिए कुछ Aircraft Lease पर ले लिए। और इस सब से फायदा यह हुआ कि एक बार में ही सारे Aircraft बेच कर उन्होंने काफी सारे पैसे सेव कर लिए, और फिर धीरे-धीरे अपने प्रॉफिट का कुछ हिस्सा Leasing कंपनी को देकर आराम से अपना बिजनेस ऑपरेट करने लगी।

अब आप में से काफी सारे लोगों के मन में यह सवाल आएगा, कि Kingfisher भी तो Lease पर ही Earcrafts को लेता था। फिर उसने प्रॉफिट क्यों नहीं कमाया? असल में इसकी वजह थी। उसकी सर्विसेस, Kingfisher लोगों को एक लग्जरी ट्रैवलिंग एक्सपीरियंस ऑफर करने पर फोकस कर रहा था। जिस वजह से उसे प्लेन के अंदर फुल एंटरटेनमेंट सिस्टम और कई तरह की चीजें भी कैरी करनी पड़ती थी। और इसकी वजह से प्लेन का फ्यूल कॉस्ट बढ़ जाता था। साथी लग्जरी चीजों को प्रोवाइड करने में भी काफी खर्च होते थे। 

ऐसे में ना चाह कर भी कंपनी को टिकट का प्राइस बढ़ाना ही पड़ता था। अब इंडिया एक ऐसा देश है। जहां लोगों को लग्जरी चीजे तो बहुत पसंद आती है, लेकिन उसके लिए एक बड़ा अमाउंट Pay करना उन्हें बिल्कुल नहीं भाता। यही वजह थीं कि Kingfisher लग्जरी एक्सपीरियंस देने के बावजूद कभी भी प्रॉफिट मेकिंग बिजनेस नहीं बन पाया, और विजय माल्या को कर्जे में डुबो दिया। वहीं अगर हम IndiGo की बात करें तो उसने एक्स्ट्रा फैसिलिटीज को रिमूव करके, सिर्फ उन्हीं पर अपना फोकस रखा जिसकी जरूरत सच में पैसेंजर्स को पड़ती है। 

इससे प्लेन का फ्यूल कास्ट काफी रिड्यूस हो गया। इसके अलावा IndiGo ने कम स्टाफ के साथ बेस्ट सर्विस भी प्रोवाइड करने की कोशिश की फॉर एग्जांपल Jet Airways जहां पर Aircraft 180 एंप्लाइज रख रहा था, वही IndiGo ने पर Aircrafts सिर्फ़ 96 एंप्लाइज ही रखे।  जिससे स्टाफ पर किए जाने वाले खर्चे भी काफी हद तक कम हो गए। और यही वजह थी कि IndiGo अपने टिकट्स के दाम इतना कम करने में कामयाब रहा था। लेकिन चीप टिकट्स और लेस एंप्लॉयज का मतलब यह हरगिज़ नहीं था, कि वह सर्विस खराब प्रोवाइड कर रहा था।


बल्कि इसका सर्विस स्टैंडर्ड दूसरी कंपनीज के साथ बराबर मैच करता था। इसके बाद IndiGo के लिए एक और बड़ा चैलेंज था। ऑपरेशनल कॉस्ट का रिड्यूस करना जिसके लिए उसने अपनाया Hub And Spoke Model को और इसका प्राइमरी हाफ दिल्ली के Indira Gandhi International Airport को बनाया गया। यानी कि IndiGo को मुंबई से श्रीनगर के लिए लंबी उड़ान भरनी हो या फिर जयपुर से लखनऊ के लिए छोटी उड़ान, सबसे पहले वह अपने सारे पैसेंजर्स को दिल्ली एयरपोर्ट पर लेकर आएगा।

और फिर यहां से अलग अलग Plens के जरिए अपने पैसेंजर्स को उनके Destination तक पहुंचाएगा। और दोस्तों इस Strategy से IndiGo कम से कम प्लेन की मदद से अपनी पैसेंजर्स को Destination तक पहुंचाता है। और इससे उनका काफी सारा फ्यूल भी बचाता है। 2011 में IndiGo ने Earbus को दोबारा 180 Aircraft का आर्डर दिया, और इंटरनेशनल फ्लाईट भी स्टार्ट कर दी। Actually IndiGo यह काम पहले भी कर सकती थी। लेकिन इंटर नेशनल फ्लाइट के परमिशन के लिए यह जरूरी होता है? कि वह Airline अपने देश में पहले 5 साल ऑपरेट कर चुकी हो। 

IndiGo ने आगे कि कुछ साल ज्यादा से ज्यादा पैसेंजर्स को अपनी तरफ अट्रेक्ट करके उन्हें अपना लॉयल कस्टमर बनाने पर फोकस किया। साथ ही कैश रिजर्व की वजह से मार्केट प्राइसेज या फ्यूल के बढ़ते दाम के बावजूद भी इनके बिज़नस पर कोई खास इंपैक्ट नहीं पड़ा। इसके अलावा IndiGo की एक और Strategy बहुत कमाल की है और वह यह है, कि इनके पास जितनी भी Aircrafts हैं। वो सेम मॉडल के हैं, जबकि बाकी सभी Airline अलग-अलग सर्विसेज देने के लिए, अलग-अलग मॉडल्स के Aircrafts का यूज करती हैं।

अब शुरूआत के उस दौर में Aircraft सेम होने का फायदा यह हुआ कि उन्हें अलग-अलग प्लेंस के लिए अलग-अलग स्टाप की ट्रेनिंग या हायरिंग नहीं करनी पड़ी। इन्हें संभालना आसान था और मेंटेनेंस कॉस्ट भी काफी लो हो गया। इस तरह कम कॉस्ट में on Time and Hustle free Experience प्रोवाइड करके IndiGo इंडियन Aviation मार्केट लीडर बन गया। आज IndiGo के हर दिन 1600 फ्लाइट 101 अलग अलग डेस्टिनेशंस को कवर करते हैं और इस Airline ने अब तक तीन हजार लाख से भी ज्यादा पैसेंजर्स को Destination तक पहुंचाया है।


साथ ही IndiGo को दुनिया के सबसे पंक्चुअल Airlines में भी शुमार किया जाता है। तो अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि आने वाले टाइम में भी IndiGo इसी तरह से नंबर वन पोजीशन पर बना रहता है, या फिर इसकी सबसे बड़ी कंप्टीटर कंपनी टाटा की विस्तारा Airlines इसकी पोजीशन हासिल कर लेगा। वैसे IndiGo के साथ आप का एक्सपीरियंस कैसा है। हमें कमेंट में जरूर बताइएगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ